[ad_1]
चयन राजपूत, अमर उजाला, रुद्रपुर
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Mon, 13 Sep 2021 04:00 PM IST
सार
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के तहत बालिकाओं में शिक्षा की अलख जगाने और उन्हें अफसर बनने के लिए प्रेरित के लिए जिले के सातों ब्लॉकों में से किसी एक ब्लॉक में पायलट प्रोजेक्ट के तहत मेरा सपना मेरा लक्ष्य योजना शुरू की जानी है।
राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाली अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग की बालिकाओं को आईएएस व पीसीएस अधिकारी बनने के लिए कलक्टर की क्लास लगाई जाएंगी। इसके तहत बालिकाओं को जिस किसी विभाग में अधिकारी बनने में रुचि होगी, उनको संबंधित विभाग के अधिकारी वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के जरिये पढ़ाई कराएंगे। जल्द ही जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से इस पर काम शुरू किया जाएगा।
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के तहत बालिकाओं में शिक्षा की अलख जगाने और उन्हें अफसर बनने के लिए प्रेरित के लिए जिले के सातों ब्लॉकों में से किसी एक ब्लॉक में पायलट प्रोजेक्ट के तहत मेरा सपना मेरा लक्ष्य योजना शुरू की जानी है। इसके लिए ब्लॉक के राजकीय स्कूलों की 11वीं व 12वीं की छात्राओं की सूची तैयार की जाएगी। महिला शक्ति केंद्र के कर्मचारियों की ओर से बालिकाओं से पूछा जाएगा कि किन क्षेत्रों में आगे बढ़ना है।
संबंधित अधिकारी से क्लास लगाई जाएगी
अगर बालिकाओं को जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, एसडीएम, आबकारी अधिकारी या अन्य जिस किसी क्षेत्र में जाना होगा तो उनकी संबंधित अधिकारी से क्लास लगाई जाएगी। अधिकारी बालिकाओं से वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के जरिये अपने अनुभव साझा करेंगे।
अधिकारी बनने के लिए कितने घंटे पढ़ाई करनी पढ़ती है, कौन सी किताब से पढ़ाई करनी है आदि बातें उनको बताई जाएंगी। एक आईएएस या पीसीएस अधिकारी का क्या काम होता है, बालिकाओं को यह सारा ज्ञान दिया जाएगा ताकि वह अपने सपनों को अपना लक्ष्य बना सकें। संवाद
महिला शक्ति केंद्र के मुताबिक यदि कोरोना खत्म हो जाता है तो वर्चुअल कॉन्फ्रेंस का झंझट खत्म कर गांव में भी कलक्टर की क्लासें लगाई जाएंगी। बालिकाओं के रुचि के अनुसार संबंधित विभाग के अधिकारी गांव पहुंचकर बालिकाओं में अफसर बनने का ज्ञान देंगे। एक ब्लॉक के बाद अन्य ब्लॉकों में भी क्लासें शुरू की जाएंगी (संवाद)
मेरा सपना मेरा लक्ष्य योजना शुरू करना मुख्य विकास अधिकारी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। वह चाहते हैं कि बालिकाएं ऊंचे मुकाम तक जाने के लिए अपना लक्ष्य तय करें। लक्ष्य तय करने के लिए उनकी क्लासें लगाई जाएंगी। ऑनलाइन वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के जरिये बालिकाओं को संबंधित अधिकारी पढ़ाएंगे। जिन्हें डीएम बनना है वह डीएम से, सीडीओ बनना है तो सीडीओ से या फिर कोई और अधिकारी बनना है तो वह उस अधिकारी से क्लास लेंगे। इसे कलक्टर की क्लास का नाम दिया गया है।
-डॉ. श्वेता दीक्षित, महिला कल्याण अधिकारी
विस्तार
राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाली अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग की बालिकाओं को आईएएस व पीसीएस अधिकारी बनने के लिए कलक्टर की क्लास लगाई जाएंगी। इसके तहत बालिकाओं को जिस किसी विभाग में अधिकारी बनने में रुचि होगी, उनको संबंधित विभाग के अधिकारी वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के जरिये पढ़ाई कराएंगे। जल्द ही जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से इस पर काम शुरू किया जाएगा।
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के तहत बालिकाओं में शिक्षा की अलख जगाने और उन्हें अफसर बनने के लिए प्रेरित के लिए जिले के सातों ब्लॉकों में से किसी एक ब्लॉक में पायलट प्रोजेक्ट के तहत मेरा सपना मेरा लक्ष्य योजना शुरू की जानी है। इसके लिए ब्लॉक के राजकीय स्कूलों की 11वीं व 12वीं की छात्राओं की सूची तैयार की जाएगी। महिला शक्ति केंद्र के कर्मचारियों की ओर से बालिकाओं से पूछा जाएगा कि किन क्षेत्रों में आगे बढ़ना है।
संबंधित अधिकारी से क्लास लगाई जाएगी
अगर बालिकाओं को जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, एसडीएम, आबकारी अधिकारी या अन्य जिस किसी क्षेत्र में जाना होगा तो उनकी संबंधित अधिकारी से क्लास लगाई जाएगी। अधिकारी बालिकाओं से वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के जरिये अपने अनुभव साझा करेंगे।
अधिकारी बनने के लिए कितने घंटे पढ़ाई करनी पढ़ती है, कौन सी किताब से पढ़ाई करनी है आदि बातें उनको बताई जाएंगी। एक आईएएस या पीसीएस अधिकारी का क्या काम होता है, बालिकाओं को यह सारा ज्ञान दिया जाएगा ताकि वह अपने सपनों को अपना लक्ष्य बना सकें। संवाद
कोरोना खत्म होने पर गांव में भी लगाईं जाएंगी चौपाल
महिला शक्ति केंद्र के मुताबिक यदि कोरोना खत्म हो जाता है तो वर्चुअल कॉन्फ्रेंस का झंझट खत्म कर गांव में भी कलक्टर की क्लासें लगाई जाएंगी। बालिकाओं के रुचि के अनुसार संबंधित विभाग के अधिकारी गांव पहुंचकर बालिकाओं में अफसर बनने का ज्ञान देंगे। एक ब्लॉक के बाद अन्य ब्लॉकों में भी क्लासें शुरू की जाएंगी (संवाद)
मेरा सपना मेरा लक्ष्य योजना शुरू करना मुख्य विकास अधिकारी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। वह चाहते हैं कि बालिकाएं ऊंचे मुकाम तक जाने के लिए अपना लक्ष्य तय करें। लक्ष्य तय करने के लिए उनकी क्लासें लगाई जाएंगी। ऑनलाइन वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के जरिये बालिकाओं को संबंधित अधिकारी पढ़ाएंगे। जिन्हें डीएम बनना है वह डीएम से, सीडीओ बनना है तो सीडीओ से या फिर कोई और अधिकारी बनना है तो वह उस अधिकारी से क्लास लेंगे। इसे कलक्टर की क्लास का नाम दिया गया है।
-डॉ. श्वेता दीक्षित, महिला कल्याण अधिकारी
[ad_2]
Source link