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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नैनीताल
Published by: अलका त्यागी
Updated Tue, 24 Aug 2021 08:38 PM IST
सार
कॉलेज प्रबंधन ने छात्रों के अभिभावकों को नोटिस भेजकर कहा कि छात्रों को तभी मुख्य परीक्षा में बैठने दिया जाएगा जब वे फॉर्म भरने से पहले बढ़ी हुई फीस जमा करेंगे।
नैनीताल हाईकोर्ट
– फोटो : फाइल फोटो
नैनीताल हाईकोर्ट ने मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज रुड़की के प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि वह बीएएमएस अंतिम वर्ष के छात्रों को मुख्य परीक्षा में बैठने दे। कोर्ट ने सरकार और कॉलेज प्रबंधन को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा है।
न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज रुड़की के छात्र अजय और 6 अन्य ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वे कॉलेज में बीएएमएस के 2016-17 बैच के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। अंतिम वर्ष के छात्रों की मुख्य परीक्षा के लिए फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 23 अगस्त 2021 थी।
कॉलेज प्रबंधन ने बढ़ी हुई फीस जमा नहीं करने का हवाला देते हुए उन्हें फॉर्म नहीं भरने दिया। प्रबंधन ने उनके अभिभावकों को नोटिस भेजकर कहा कि छात्रों को तभी मुख्य परीक्षा में बैठने दिया जाएगा जब वे फॉर्म भरने से पहले बढ़ी हुई फीस जमा करेंगे।
छात्रों का कहना था कि वे 2016-17 बैच के छात्र हैं। उन्होंने कमेटी के अनुसार निर्धारित फीस जमा करा दी थी। बढ़ी हुई फीस का नियम उन पर लागू नहीं होता है। याचिका में कहा गया कि 2019 में फीस निर्धारित कमेटी ने कहा था कि बढ़ी हुई फीस 2019 के बाद वाले छात्रों से ही ली जाएगी,लेकिन प्रबंधन जबरन विद्यार्थियों से बढ़ी हुई फीस वसूल रहा है। मुख्य परीक्षा शुरू होने की तिथि छह सितंबर नियत की गई है।
याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना था कि 2016-17 बैच के छात्रों को 80 हजार रुपये प्रति वर्ष फीस देनी थी, जिसे बढ़ाकर 2 लाख 15 हजार कर दिया था। इस फैसले को आयुर्वेदिक मेडिकल के छात्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
इस पर हाईकोर्ट ने निर्णय दिया था कि बढ़ी हुई फीस छात्रों को वापस की जाए। हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज की याचिकाओं को निरस्त कर दिया था। याचिकाकर्ता छात्रों का कहना था कि कोर्ट के आदेश के बाद भी उनसे अधिक फीस वसूली जा रही है। उन्हें परीक्षा से वंचित किया जा रहा है।
विस्तार
नैनीताल हाईकोर्ट ने मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज रुड़की के प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि वह बीएएमएस अंतिम वर्ष के छात्रों को मुख्य परीक्षा में बैठने दे। कोर्ट ने सरकार और कॉलेज प्रबंधन को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा है।
न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज रुड़की के छात्र अजय और 6 अन्य ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वे कॉलेज में बीएएमएस के 2016-17 बैच के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। अंतिम वर्ष के छात्रों की मुख्य परीक्षा के लिए फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 23 अगस्त 2021 थी।
कॉलेज प्रबंधन ने बढ़ी हुई फीस जमा नहीं करने का हवाला देते हुए उन्हें फॉर्म नहीं भरने दिया। प्रबंधन ने उनके अभिभावकों को नोटिस भेजकर कहा कि छात्रों को तभी मुख्य परीक्षा में बैठने दिया जाएगा जब वे फॉर्म भरने से पहले बढ़ी हुई फीस जमा करेंगे।
छात्रों का कहना था कि वे 2016-17 बैच के छात्र हैं। उन्होंने कमेटी के अनुसार निर्धारित फीस जमा करा दी थी। बढ़ी हुई फीस का नियम उन पर लागू नहीं होता है। याचिका में कहा गया कि 2019 में फीस निर्धारित कमेटी ने कहा था कि बढ़ी हुई फीस 2019 के बाद वाले छात्रों से ही ली जाएगी,लेकिन प्रबंधन जबरन विद्यार्थियों से बढ़ी हुई फीस वसूल रहा है। मुख्य परीक्षा शुरू होने की तिथि छह सितंबर नियत की गई है।
याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना था कि 2016-17 बैच के छात्रों को 80 हजार रुपये प्रति वर्ष फीस देनी थी, जिसे बढ़ाकर 2 लाख 15 हजार कर दिया था। इस फैसले को आयुर्वेदिक मेडिकल के छात्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
इस पर हाईकोर्ट ने निर्णय दिया था कि बढ़ी हुई फीस छात्रों को वापस की जाए। हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज की याचिकाओं को निरस्त कर दिया था। याचिकाकर्ता छात्रों का कहना था कि कोर्ट के आदेश के बाद भी उनसे अधिक फीस वसूली जा रही है। उन्हें परीक्षा से वंचित किया जा रहा है।
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