चाहे जान चली जाए लेकिन हम एक भी पेड़ नहीं कटने देंगे……

खलंगा में पेड़ काटे जाने का विरोध जारी

उत्तराखंड में लाखों पेड़ विकास कार्यों के नाम पर बली चढ़ गये हैं। अंधाधुंध दोहन से पर्यावरण बहुत प्रभावित हुआ है, बेतहाशा गर्मी बढना और जिसका असर अब वाटर लेवल पर भी पड़ा है  और अब सरकारी तंत्र का बेतुका खलंगा परियोजना को लाना जो कि देहरादून के लिए बहुत घातक साबित होगा।

खलंगा फोरेस्ट को कुछ चंद लोगों के फायदे के लिए बहुत गलत तरीके से नस्ट किये जाने के मनसूबे को देहरादून की जनता अब बर्दाश्त नहीं करेंगे और वह इसके लिए कमर कर चुके हैं। समिति के अध्यक्ष रोशन राणा ने बताया कि उनकी समिति पीछले 2 वर्षों से एक एक पेड़ों को ट्री गार्ड से मुक्त करना व जहां भी पेड़ों के तने को सिमेन्ट से दबाया गया है वहां से सिमेन्ट की खुदाई करके उन्हें नया जीवन प्रदान कर रहे हैं।

वहीं खंगला में उन 2000 पेड़ों को उस योजना के लिए काटने की प्रयोजन है जो कभी कामयाब नही हो सकती है और नहीं उसका कोई देहरादून वासियों को फायदा होगा, इस लिए आज खंगला में समिति के सभी सदस्यों ने अपना रोष और दुःख व्यक्त किया और स्वयं को हथकड़ियां और चीन लोहे की जंजीरों से बांधकर प्रतीकात्मक संदेश दिया है, कि अगर अभी सरकार ने यह कदम वापस नहीं लिया  तो यह आंदोलन और उग्र होगा।

प्रोटेस्ट  में आए श्री महाकाल सेवा समिति के सदस्यों ने पेड़ों पर अंगवस्त्र पहना कर यह संकल्प लिया कि चाहे हमारी जान चली जाए लेकिन हम एक भी पेड़ नहीं कटने देंगे।

इस संबंध में समिति के अध्यक्ष रोशन राणा ने बताया जहां हम हर रविवार को एक-एक पेड़ को बचाने के लिए अपना कीमती समय लग रहे हैं वहीं 2000 पेड़ को काटना बेमानी होगा इनको बचाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है इस आंदोलन में  विभिन्न संस्थाओं के साथ श्री महाकाल सेवा समिति के बालकिशन शर्मा, संजीव गुप्ता, आलोक जैन, डा० नितिन अग्रवाल, हेमराज अरोड़ा, गौरव जैन, आयुष जैन, सचिन आनंद, राहुल माटा, कृतिका राणा अनुष्का राणा मौजूद रहे।

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