योजना के तहत संस्कृत अकादमी के माध्यम से गंगा घाट पर कराए जाने वाले अस्थि विसर्जन को घर बैठे लाइव दिखाने की भी तैयारी थी
इसके लिए परिजनों को कॉरियर के माध्यम से अस्थियों को हरिद्वार स्थित अकादमी के कार्यालय में भेजना था।
उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की मुक्ति योजना पर संस्कृत मंत्री अरविंद पांडे ने रोक लगा दी है। अस्थि विसर्जन की जो व्यवस्था पहले से चली आ रही थी, अब वही चलती रहेगी। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से इस तरह की योजना तैयार की गई थी कि देश, विदेश के लोग घर बैठे अपने परिजनों की अस्थियां गंगा घाटों पर विसर्जित कर सकें। योजना के तहत संस्कृत अकादमी के माध्यम से गंगा घाट पर कराए जाने वाले अस्थि विसर्जन को घर बैठे लाइव दिखाने की भी तैयारी थी।
इसके लिए परिजनों को कुरियर के माध्यम से अस्थियों को हरिद्वार स्थित अकादमी के कार्यालय में भेजना था। अकादमी पंडों के माध्यम से इन अस्थितयों का विसर्जन कराती। अस्थि विसर्जन के लिए विदेश में रह रहे प्रवासियों के लिए कुछ शुल्क भी तय किया गया था, लेकिन श्री गंगा सभा की ओर से संस्कृत अकादमी और अन्य संतों की ओर से इस योजना का विरोध किया जा रहा था।
श्री गंगा सभा के प्रतिनिधिमंडल ने इस मसले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने भी इस योजना को निरस्त करने का आश्वासन दिया था। योजना केवल प्लानिंग में थी, संस्कृत मंत्री के निर्देश के बाद इस योजना पर रोक लगा दी गई है।