भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की रणनीति की कमान अपने हाथों में ले ली है। प्रदेश में चुनावी बिसात अब राष्ट्रीय नेताओं की टीम बिछा रही है। चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति से लेकर राज्यपाल बदलने के फैसले को केंद्र का रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल बदलने तक कई दांव चल चुकी भाजपा
सियासी जानकारों का कहना है कि राज्य के तराई में किसान आंदोलन से हो रहे नुकसान को कम करने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल बदलने तक भाजपा कई दांव चल चुकी है। सैन्य बहुल राज्य में जवान और किसान पर पार्टी का खास ध्यान है।
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पार्टी के सूत्र बता रहे हैं कि उत्तराखंड के आंतरिक सर्वे में पार्टी को नुकसान की आहट है। कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा आंदोलन इस खतरे की बड़ी वजह माना जा रहा है। इस आंदोलन का सबसे अधिक प्रभाव ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले के यूपी की सीमा से जुड़े इलाकों में माना जा रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए केंद्रीय नेतृत्व का फोकस अब जवानों और किसानों पर है। इन दोनों मुद्दों को ध्यान में रखकर पार्टी लगातार फैसले ले रही है।
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1: युवा धामी को सत्ता की कमान सौंपी
भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने कुमाऊं मंडल के ऊधम सिंह नगर जिले से विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया। युवा धामी को कमान देने से भाजपा स्थिति कुछ हद तक संभली। लेकिन किसान आंदोलन का असर जिले की सभी नौ सीटों पर कुछ न कुछ दिखा। किसानों में बहुत बड़ी तादाद सिख किसानों की है।
2: संधू को बनाया मुख्य सचिव
मुख्यमंत्री ने सत्ता की कमान संभालते ही डॉ. एसएस संधू को मुख्य सचिव बनाया। सूत्रों के मुताबिक यह एक रणनीतिक निर्णय था, जिसमें बेलगाम नौकरशाही पर प्रहार और एक खास वर्ग को महत्व देने का संदेश छुपा था।
3: अजय भट्ट को राज्यमंत्री बनाया
केंद्र का तीसरा बड़ा दांव कुमाऊं से सांसद अजय भट्ट को मोदी कैबिनेट में राज्यमंत्री बनाने का रहा। भट्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देकर एक तीर से दो निशाने साधे गए। भट्ट को रक्षा राज्य मंत्री बनाकर सैन्य बहुल राज्य के सैनिकों और पूर्व सैनिकों को रिझाने की कोशिश हुई। वहीं नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा के सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देकर तराई को महत्व दिया।
4: ब्राह्मण चेहरे को बनाया चुनाव प्रभारी
पार्टी ने ब्राह्मण नेता प्रह्लाद जोशी को विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया। जोशी कर्नाटक से सांसद हैं और वह केंद्र में अहम संसदीय कार्य मंत्रालय भी देख रहे हैं। संगठन की उन्हें गहरी समझ है। पीएम मोदी के करीबी हैं। कार्यकर्ता का मनोविज्ञान और संगठन की चाल ढाल से खूब वाकिफ हैं। उत्तराखंड में उनकी तैनाती रणनीतिक मानी जा रही है। पार्टी पर ब्राह्मण वर्ग को साधने का दबाव है।
5 : सिख चेहरे को भी चुनाव की कमान
भाजपा ने जोशी के साथ सरदार आरपी सिंह को सह प्रभारी बनाया है। आरपी सिंह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी की मीडिया टीम में प्रवक्ता हैं। दिल्ली से विधायक रहे हैं और उनकी सिख वर्ग में जबरदस्त पकड़ है। ऊधमसिंह नगर में पार्टी उनके संपर्कों लाभ लेने की सोच रही है। आरपी सिंह के साथ सांसद लॉकेट चटर्जी को भी सह चुनाव प्रभारी बनाया गया । पश्चिम बंगाल की हुगली सीट से सांसद चटर्जी के जरिए भाजपा महिला वोट बैंक और ऊधमसिंह नगर में बंगाली मतदाताओं को साधने की सोच रही है।
6: सैन्य पृष्ठभूमि और सिख चेहरे को बनाया राज्यपाल
उत्तराखंड के नए राज्यपाल लेफ्टीनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह को बनाया गया। चुनावी साल में एक सिख और सेना में अफसर रहे चेहरे को राज्यपाल बनाया जाना भी रणनीतिक माना जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि सिख और सैन्य पृष्ठभूमि वाले चेहरे को राजभवन की कमान सौंपकर दो अहम वर्गों को मान देने का संदेश देने की कोशिश की गई है।
चुनाव में भाजपा को पूर्व सैनिकों का हमेशा समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने सैनिक और अर्द्धसैनिक बलों को मजबूत करने का काम किया। उन्हें निर्णय लेने का अधिकार दिया। राज्य सरकार ने पूर्व सैनिकों के सम्मान में कई अहम निर्णय लिए। किसानों के हित में केंद्र और राज्य सरकार ने कई अहम योजनाएं चलाई हैं। किसान और जवान का हित पार्टी के लिए सर्वोपरि है।
– मदन कौशिक, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा