पर्यावरण में किन कारणों से अंतर आ गया है ? इस पर अध्ययन किया जाना आवश्यक है : पेयजल मंत्री. बिशन सिंह चुफाल
अल्मोड़ा रिपोर्टर एसबीटी न्यूज़ उत्तराखंड
अलमोडा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा द्वारा हरेला महोत्सव के अवसर पर प्रातः 9 बजे गणित विभाग सभागार में “लोकपर्व एवं पर्यावरण संरक्षण” विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि बिशन सिंह चुफाल,माननीय पेयजल मन्त्री ,उत्तराखण्ड सरकार, रघुनाथ सिंह चौहान विधानसभा उपाध्यक्ष,कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो एन. एस.भंडारी , कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय ,अल्मोड़ा, मुख्य वक्ता प्रो. डी. एस. पोखरिया, त्रिभुवन गिरी जी महाराज व परिसर निदेशक प्रो नीरज तिवारी, हरेला महोत्सव के संयोजक प्रो जगत सिंह बिष्ट, गोष्ठी के संयोजक डॉ नवीन भट्ट आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर और सरस्वती चित्र पर पुष्पार्पण कर उद्घाटन किया।
उद्घाटन सत्र के अवसर पर योग विभाग की छात्राओं ने स्वागत गीत का गायन किया और सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। उद्घाटन सत्र पर मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड सरकार में पेयजल मंत्री. बिशन सिंह चुफाल ने कहा कि पर्यावरण में किन कारणों से अंतर आ गया है ? इस पर अध्ययन किया जाना आवश्यक है।
अनियोजित विकास के फलस्वरूप पर्यावरण में निरंतर क्षरण हुआ है जो चिंतनीय है। जिस पर गोष्ठी में मंथन किया जाना बहुत आवश्यक है। हरेला पर्व पर हम सदैव वृक्षारोपण बचपन से ही करते आये हैं। हमें पेड़ लगाना भी है और उसे बचाना भी है। उन्होंने कहा कि गोष्ठी से विचार जनमानस में जाना चाहिए।
विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए इस हिमालयी प्रदेश का योगदान बहुत बड़ा है। पूरे देश को यह हिमालयी राज्य पानी व स्वच्छ वायु देता है। वन संपदा को लेकर यह समृद्ध क्षेत्र रहा है। मानव सभ्यता का विकास प्रकृति के सानिध्य में हुआ है। हमें प्रकृति के संरक्षण के लिए आगे आने की जरूरत है।
इस अवसर रघुनाथ चौहान जी ने सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में स्थापित किये गए हरेला पीठ तथा स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र के लिए भी 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने इनको स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय और उसके कुलपति प्रो भण्डारी की प्रशंसा की।
कार्यक्रम अध्यक्ष रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा के मा. कुलपति प्रो. एन. एस भंडारी ने कहा कि हरेला पर्व हमारी संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। कुमाउनी संस्कृति में पर्यावरण को संरक्षण प्रदान करने का संदेश मिलता है। यहां का जनमानस प्रकृति के काफी नजदीक है। जिस तरह से वनों का कटान बढ़ रहा है, अनियोजित विकास हो रहा है,उससे पर्यावरण में गिरावट हुई है। हमें उस गिरावट को दूर करने के लिए हरेला महोत्सव जैसे अभियान संचालित करने होंगे।
उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। हरेला महोत्सव जनमानस में पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान निभाएगा। उन्होंने आगे कहा कि हमें नौला, जल स्रोतों को संरक्षित करना होगा। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय के विकास के संबंध में बात रखी।
हरेला पीठ और स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र के संबंध में उन्होंने कहा कि ये पीठ सकारात्मक सोच पैदा करने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे। हम इन केंद्रों के लिए आगे भी प्रयास करेंगे और वृक्ष लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करेंगे। आने वाली पीढ़ियों को परंपरागत ज्ञान, लोक संस्कृति, त्योहार,पर्व, पर्यावरण को बताने की आवश्यकता है।
प्रकृति अपने आपको संतुलित क़रती है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से पर्यावरण असंतुलन हो रहा है। हम बेहतर परिवेश, पर्यावरण, के लिए कार्य करते रहें। उन्होंने NCC 24 बटालियन, योग के विद्यार्थियों की सराहना की। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. डी. एस. पोखरिया ने कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में जमीनी धरातल पर कार्य आयोजित हो रहे हैं, यह इस देश के लिए गर्व की बात है। राज्य सरकार को अपील करते हुए कहा कि हरेले को राजकीय त्योहार घोषित किया जाना चाहिए।
लोक के संबंध में उन्होंने कहा कि लोक में शास्त्र भी निहित हैं। लोक एक महासमुद्र है। लोक में पर्व, उत्सव, पर्यावरण को लेकर उन्होंने अपनी बात केंद्रित की। साथ ही कहा कि कोरोना का प्रभाव समूचे विश्व के जनसमाज पर पड़ा है। किंतु कोरोना का ग्रामीण जनजीवन पर कम प्रभाव पड़ा है, क्योंकि प्रकृति के संरक्षण में गांवों के लोग रहते हैं।
वह प्रकृति से उत्पादित खाद्य सामग्री का आहार लेते हैं। लोक पर्व हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक एवं प्राकृतिक पर्यावरण में संतुलन होना आवश्यक है। यदि दोनों में असंतुलन होगा तो व्यवस्था चरमरा जाएगी।
समाजसेवी श्री त्रिभुवन गिरी जी महाराज ने कहा कि पेड़ लगाना और उसको पालना बहुत आवश्यक है। हरेला पर्व तभी सफल होगा, जब हम उसको पालेंगे। पेड़ लगाने वाले विशेष ध्यान दें कि वो पेड़ लगाएं और उसकी हत्या के भागीदार न बनें। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए कुलपति भंडारी जी के प्रयासों की सराहना की। और कहा कि लोकपर्वों को पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए। अपनी दुधबोलि, भाषा, संस्कृति, संस्कार का संरक्षण किया जाना चाहिए, उनको बढ़ाने की पहल करना चाहिए।
परिसर निदेशक प्रो नीरज तिवारी ने कहा कि माननीय कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी जी के नेतृत्व में पर्यावरण और सामाजिक जागरूकता के लिए उत्कृष्ट कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। हमारा यह सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय पूरे भारत में अपने कार्यों को लेकर चर्चा का केंद्र बन रहा है और उसकी सराहना होने लगी है। पर्यावरण को लेकर उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के प्रति नम्र भाव रखना होगा,तभी इस प्रकृति की रक्षा हो सकेगी। उन्होंने कुलपति जी एवं सभी अतिथियों के प्रति आभार जताया।
गोष्ठी के संयोजक डॉ नवीन भट्ट ने हरेला महोत्सव और उसके विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण में विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी का योगदान बहुत अधिक है। उनके द्वारा पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई मुहिम जनमानस के बीच पहुंच गई हैं। उन्होंने हरेला महोत्सव के साथ कई अभियानों के संबंध में बात रखी।
इस अवसर पर संजय बिनवाल, कविता अधिकारी,आँचल राज, समीक्षा उप्रेती, मीनाक्षी पांडे ने कविता पाठ किया। संगीता रौतेला,भावना अधिकारी, ललिता तोमक्याल, संजना बिनवाल, गीतांशी, हिमांशु, मनीष,अजय ने योगासन पर डेमो दिया। साथ ही 24 UK छात्रा बटालियन NCC की कैडेट्स ने सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन और हरेला पर्व पर केंद्रित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किये।कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.भंडारी ने हरेला महोत्सव के संयोजक प्रो. जगत सिंह बिष्ट की सराहना करते हुए शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
गोष्ठी का संचालन जेआरएफ फैकल्टी मोनिका बंसल ने किया। इस अवसर पर शोध एवं प्रसार निदेशक और हरेला महोत्सव के संयोजक प्रो जगत सिंह बिष्ट,विश्वविद्यालय के विशेष कार्याधिकारी डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ बिपिन जोशी, भा.ज.पा. जिलाध्यक्ष श्री रवि रौतेला, डी.सी.बी. अध्यक्ष ललित लटवाल, सभासद मनोज जोशी, डी.सी.बी. के निदेशक श्री विनीत बिष्ट, अजय वर्मा, शैलेन्द्र साह, डॉ ममता पंत, डॉ धनी आर्या, विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी डॉ.ललित जोशी, गिरीश अधिकारी, गोविंद मेर, श्री लल्लन कुमार सिंह,मुरली कापड़ी, हेमलता अवस्थी, दिनेश पटेल, ललिता तोमक्याल, भावना अधिकारी, संदीप नयाल सहित विश्वविद्यालय शिक्षक, कर्मचारी, छात्र-,छात्राएं, योग विभाग की छात्राएं, एनसी सी 27 गर्ल्स एवं 77 बटालियन के कैडेट्स शामिल हुए।