HARIDWAR: नवजात शिशु की बिक्री का प्रकरण

गंभीर मामला बाल अधिकार संरक्षण आयोग के संज्ञान में आया। सरकारी तंत्र से जुड़े व्यक्तियों की संलिप्तता की आशंका।

हरिद्वार। हरिद्वार में एक नवजात शिशु की बिक्री का गंभीर मामला बाल अधिकार संरक्षण आयोग के संज्ञान में आया है, जिसमें सरकारी तंत्र से जुड़े कुछ व्यक्तियों की संलिप्तता की आशंका भी जताई जा रही है।

आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी (डीपीओ) से तत्काल आख्या मांगी है और पुलिस अधीक्षक हरिद्वार को निर्देशित किया है कि वे इस पर सख्त और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करें।

सौतेले पिता पर नाबालिग बेटी के साथ कथित यौन शोषण का आरोप।

इसके साथ ही देहरादून स्थित वेल्हम गल्स स्कूल में एक और गंभीर मामला प्रकाश में आया है, जिसमें पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इस मामले में पीड़िता के सौतेले पिता पर नाबालिग बेटी के साथ कथित यौन शोषण का आरोप है। आरोपी फिलहाल फरार है और पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए सक्रियता से प्रयास कर रही है।

आयोग की अध्यक्ष, डॉ. गीता खन्ना ने एसएसपी से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके।

पीड़िता की मां द्वारा यह बताया गया कि आरोपी स्कूल में एक वरिष्ठ पद पर कार्यरत था, जहां लगभग 500 छात्राएं छात्रावास में रहती हैं। इस प्रतिष्ठित स्कूल का नाम देश और विदेश में विख्यात है, और इतने महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए आरोपी के दुर्व्यवहार की अनदेखी स्कूल प्रशासन द्वारा सालों तक की गई।

आयोग ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की है कि पीड़िता की मां द्वारा पूर्व प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ को आरोपी के आचरण के बारे में जानकारी देने के बावजूद, उन्होंने कोई उचित कार्रवाई नहीं की। हालांकि, वर्तमान प्रिंसिपल ने एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी को स्कूल छोड़ने का आदेश दिया, जिसे आयोग ने नियमों के अनुरूप और सराहनीय कदम माना है।

प्रबंधन निकाय की इस लापरवाही के लिए आयोग ने स्पष्टीकरण तलब किया है और उचित कार्रवाई के आदेश भी जारी किए हैं। बाल अधिकारों की रक्षा के लिए आयोग इस मामले में कड़ी निगरानी रखेगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

हाल ही में प्रतिष्ठित जगहों में से एक स्ठैछ।। में हुई सुसाइड की घटना पर भी आयोग कि अध्यक्षा डॉ गीता खन्ना ने डायरेक्टर सइेदं को पत्र प्रेषित कर घटना कि जांच में एवं विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम करते रहने चाहिए जिससे व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहे एवं, इस प्रकार की घटना दोहराई ना जाए।

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