हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि भगवान श्रद्धा के भूखे होते हैं। भावपूर्ण भक्ति से ही भगवत कृपा प्राप्त होती है। जब हमारी जीवन साधना भगवान के निर्धारित विधि सम्मत होगी, तभी भगवान का संरक्षण और शक्ति प्राप्त होंगी। ये बातें डॉ. पण्ड्या ने देसंविवि के मृत्युंजय सभागार में आश्विन नवरात्र के अवसर पर आयोजित सत्संग श्रृंखला के तीसरे दिन साधकों को संबोधित करते हुए कहीं।
डॉ. पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र के अवसर पर शुद्ध मन और पवित्र भावना के साथ किये जाने वाला जप-तप साधक के मनोभाव को शुद्ध करता है। जिनकी भावनाएं जैसी होती हैं, उसे भगवत्कृपा उसी अनुसार मिलती है। उन्होंने प्रह्लाद, मीरा, धन्ना जाट, चंड कौशिक नाग आदि की प्रेरक कहानियों को साझा करते हुए कहा कि इन्होंने निच्छल भाव से भावपूर्ण होकर ईश्वर द्वारा बनाई गयी विधि के अनुसार आराधना की, परिणामस्वरूप भगवान इन्हें बचाने, रक्षा करने के लिए समय-समय पर आते रहे। इस मौके पर शरद पारधी, डॉ. चिन्मय पण्ड्या, बलदाऊ देवांगन सहित सभी विभगों के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर, विद्यार्थी, देश-विदेश से आए अनुयायी उपस्थित रहे।