हल्द्वानी उप कारागार जेल दोष खत्म करने वाली होगी देश की पहली जेल,एक रात गुजारने से दुरुस्त होगी ग्रह दसा

जेल जाने भर के ख्याल से दहशत में आने वाले लोग अपनी ग्रह दसा सुधारने के लिए अब खुशी-खुशी जेल जाना पसंद करेंगे। जी हां अगर आपकी कुंडली में जेल (बंधन) दोष (Jail Dosh) है और आप इसका निराकरण करवाना चाहतेे हैं तो हल्द्वानी के उप कारागार (Haldwani Sub Jail) में संभव हो सकेगा।

यहां कारागार के विशेष कक्ष में जेल दोष वाले व्यक्ति को एक दिन के लिए बंद किया जाएगा। ताकि उसका दोष खत्म हो जाए। इसके लिए न्यूनतम शुल्क देय होगा। जेल दोष खत्म करने वाली यह उत्तराखंड की ही नहीं बल्कि देश की पहली जेल होगी।

हिंदू धर्म में कुंडली के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों की दसा काे अहमियत दी जाती है। जन्म होते ही कुंडली बनवाई जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हिंदू धर्म में शुभ कार्यों में इस कुंडली को प्रथम स्थान दिया जाता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई अशुभ ग्रह किसी शुभ ग्रह के साथ संयोजन करता है तो ऐसी स्थिति में कुंडली दोष का निर्माण हो जाता है।

इन्हीं में एक दोष होता जेल (बंधन) दोष है। यह दोष से मुक्ति पाने के लिए जेल में एक दिन सजा काटनी पड़ती है। अभी तक लोग इसका निदान विधि विधान से नहीं होता था। लिहाजा जेल में आने की परमिशन नहीं होती थी।

जेल आइजी को प्रस्ताव से अवगत कराया

हल्द्वानी उपकारागार में जेल दोष को खत्म करने के लिए 1903 में बने शस्त्रालय का उपयोग होने जा रहा है। इसका प्रस्ताव के साथ ही जेल आइजी विमला गुंज्याल को अवगत करा दिया है। दिसंबर या उससे पहले जेल दोष खत्म करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

जेल दोष के बारे में क्या कहते हैं आचार्य रमेश

पंचांगकार आचार्य डा. रमेश चंद्र जोशी बताते हैं कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र के वृहद् जातक, जातक तत्व, उत्तर कालामृत आदि ग्रन्थों में जेल (बंधन) दोष के बारे में विस्तार से लिखा है। जातकालंकार ग्रन्थ के अनुसार यदि सभी अशुभ ग्रंथ 2,5,9 व 12वें भाव में स्थित हो तो वह मनुष्य अपने जीवन में इन ग्रहों की महादशा व अंतरदशाओं में गिरफ्तार होकर जेल अवश्य जाता है। यदि उस मनुष्य के जन्म, लग्न, मेष, वृष व धनु होता है तो उसे लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है। यदि जन्म लग्न इससे भिन्न हो तो उसे कुछ समय बाद जेल से छुटकारा मिल जाता है।

यह है बचाव का तरीका

पंचांगकार आचार्य डा. रमेश चंद्र जोशी के अनुसार जेल में एक दिन रहना सर्वोच्च माना जाता है। जेल दोष योग बन रहा है तो चार गुना वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए और दान करें। इसके अलावा गाय के दूध से शिवमंदिर में लघुरुद्र अभिषेक करें। हनुमान चालीसा का पाठ करना भी लाभदायक होता है।

उपकारागार में इस तरह कटेगी रात

  • जेल में बने लाकअप में दोष वाले युवक को डाला जाएगा
  • अन्य बंदियों की तरह उसे रात गुजारने के लिए कंबल मिलेगा
  • सुबह आने पर दोपहर व रात दो टाइम का खाना मिलेगा
  • एक रात काटने के बाद उसे सुबह लाकअप से बाहर निकाला जाएगा

यह होगी आने की प्रक्रिया

नजदीकी लोग उपकारागार में आने के लिए जेल में पहुंचकर सीधे कर्मचारियों से संपर्क कर सकेंगे। जबकि दूसरे जिले व राज्यों के लोगों के लिए मोबाइल नंबर जारी किया जाएगा। इस नंबर के जरिए जेल में आने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए न्यूनतम 500 रुपये तक देय होगा।

शस्त्रालय को बनाया रहने योग्य

1903 का शस्त्रालय खस्ताहाल हो गया था। जेल प्रशासन ने इसकी मरम्मत करा दी है। इसके अंदर आकअप बनाया गया है। यह उस समय का शस्त्रालय है जब सुल्ताना डांकू इस जेल में बंद रहा था।

शस्त्रालय में जेल दोष का निदान होगा

जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि 119 साल पहले शस्त्रालय में जेल दोष का निदान होगा। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। गत दिनों उपकारागार के निरीक्षण को पहुंची जेल आइजी विमला गुंज्याल को इस बारे में बताया गया तो उन्होंने इस प्रयास की सराहना की। इसका प्रस्ताव बन गया है। मुख्यालय से अनुमति मिलते ही जेल दोष वाला लाकअप खुल जाएगा। देश में अब तक कहीं जेल दोष खत्म करने की व्यवस्था नहीं है।

लखनऊ में आती रही हैं ऐसी दरख्वास्त

2018 में लखनऊ के तत्कालीन जिलाधिकारी डीएम कौशल राज शर्मा ने एक अखबा को बताया था कि, “हर साल हमारे दफ्तर में इस प्रकार की लगभग दो दर्जन दरख्वास्त आती हैं। अर्जी देने वालों की अपील होती है कि हम उन्हें जेल में एक से लेकर दो दिन बिताने दें।” वहीं, ज्योतिषी मानते हैं कि ऐसा कर जेल योग के दोष कम होने की संभावना रहती है।

मई 2018 में रमेश ने जेल में गुजार थी रात

एक अग्रेंजी अखबार के मुताबिक, मई 2018 में लखनऊ निवासी कारोबारी रमेश सिंह (38) एक दिन का समय हवालात में बिता कर आए थे। उन्होंने यह काम किसी जुर्म या गलती के कारण नहीं, बल्कि अपनी कुंडली के उसी जेल योग के दोष से छुटकारा पाने के लिए किया। यह सुझाव उनके ज्यातिषाचार्य ने उन्हें दिया था।

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