चुनाव लड़ने का जज्बा नहीं है कम, जमानत बचाने में निकल जाता है दम

उत्तराखंड की स्थापना के बाद प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव 2002 में हुआ। इस चुनाव में 28 दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे

प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हर बार अपनी जीत के दावे के साथ मैदान में उतरने का उत्साह किसी से छिपा नहीं है। भले ही चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो जाए लेकिन हर चुनाव में निर्दलीय या छोटे दलों से तमाम प्रत्याशी हर बार मैदान में किस्मत आजमाने उतरते हैं।

2002 विधानसभा चुनाव: 765 प्रत्याशियों की जमानत हुई थी जब्त
उत्तराखंड की स्थापना के बाद प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव 2002 में हुआ। इस चुनाव में 28 दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे। इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी मिलाकर कुल 927 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। पहले ही चुनाव में उत्साह इस कदर था कि प्रति विधानसभा औसतन 13 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। उस वक्त चकराता विधानसभा सीट पर सबसे कम पांच प्रत्याशी और डोईवाला व इकबालपुर विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 24-24 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। कुल 927 में से 765 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गईं। इनमें 705 पुरुष और 60 महिला उम्मीदवार शामिल थे। कुल मिलाकर इस चुनाव में केवल 162 प्रत्याशी ही ऐसे थे जो कि अपना जमानत बचा पाए। इनमें से 70 जीते हुए उम्मीदवारों को निकाल दें तो 92 उम्मीदवार ही निर्धारित मानकों के हिसाब से वोट हासिल कर अपनी जमानत बचा पाए।

Uttarakhand Election 2022: आचार संहिता उल्लंघन करने वाले नेताओं पर लगातार कस रहा शिकंजा, इन पर अब तक हुई कार्रवाई

2007 विधानसभा चुनाव: 785 में से 205 की जमानत बची
विधानसभा के दूसरे चुनाव में भी चुनाव लड़ने का जबर्दस्त उत्साह नजर आया। इस चुनाव में 37 दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे। निर्दलीयों को मिलाकर चुनाव मैदान में कुल 785 प्रत्याशी उतरे। प्रति विधानसभा औसतन 11 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई। इनमें से 580 की जमानत जब्त हो गई, जिनमें 538 पुरुष और 42 महिला उम्मीदवार शामिल हैं। 205 ऐसे प्रत्याशी थे जो कि अपनी जमानत बचाने में कामयाब हुए। इनमें से 70 विजेताओं को छोड़ दें तो 135 प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचाने में कामयाब हुए।

2012 विधानसभा चुनाव: 614 की जमानत हुई जब्त
इस चुनाव में अब तक के रिकॉर्ड 43 दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे। निर्दलीयों को मिलाकर कुल 788 प्रत्याशी मैदान में उतरे। इस चुनाव में भी औसतन 11 प्रत्याशी प्रति विधानसभा सामने आए थे। इनमें से 614 की जमानत जब्त हो गई, जिनमें 566 पुरुष, 47 महिला व एक अन्य उम्मीदवार शामिल हैं। कुल 174 प्रत्याशी ऐसे थे जो कि अपने जमानत बचाने में कामयाब हुए। इनमें से 70 विजेताओं को हटा दें तो 104 प्रत्याशी ही अंतिम रूप से अपनी जमानत बचाने में कामयाब हुए।

2017 विधानसभा चुनाव: 474 की जमानत जब्त हुई
इस विधानसभा चुनाव में 34 दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे। निर्दलीयों को मिलाकर कुल 637 प्रत्याशी मैदान में उतरे। प्रति विधानसभा नौ प्रत्याशी अपने किस्मत आजमाने जनता के बीच आए। नतीजे आए तो इनमें से 474 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गईं, जिसमें 425 पुरुष, 47 महिला और दो थर्ड जेंडर उम्मीदवार शामिल हैं। केवल 163 उम्मीदवार ही ऐसे थे, जो अपनी जमानत बचा पाए थे। इनमें से 70 विजेताओं को निकाल दें तो 93 उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में कामयाब हो पाए।

यह है जमानत जब्त होने का नियम
जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 158 में उम्मीदवारों की ओर से जमा की गई राशि के लौटाने के तरीकों के बारे में बताया गया है। इन्हीं में एक तरीका है जो यह तय करता है कि किस प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त होगी। दरअसल नियम यह है कि यदि किसी प्रत्याशी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधिमान्य मतों की संख्या के छठे भाग या 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत जब्त मान ली जाती है। यानी प्रत्याशी ने अपनी जो जमानत राशि जमा की थी, वह वापस नहीं मिलेगी। मसलन, किसी विधानसभा सीट पर अगर एक लाख वोटिंग हुई तो जमानत बचाने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को छठे भाग से अधिक यानि करीब 16 हजार 666 वोटों से अधिक वोट लेने ही होंगे।

विस्तार

प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हर बार अपनी जीत के दावे के साथ मैदान में उतरने का उत्साह किसी से छिपा नहीं है। भले ही चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो जाए लेकिन हर चुनाव में निर्दलीय या छोटे दलों से तमाम प्रत्याशी हर बार मैदान में किस्मत आजमाने उतरते हैं।

2002 विधानसभा चुनाव: 765 प्रत्याशियों की जमानत हुई थी जब्त

उत्तराखंड की स्थापना के बाद प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव 2002 में हुआ। इस चुनाव में 28 दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे। इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी मिलाकर कुल 927 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। पहले ही चुनाव में उत्साह इस कदर था कि प्रति विधानसभा औसतन 13 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। उस वक्त चकराता विधानसभा सीट पर सबसे कम पांच प्रत्याशी और डोईवाला व इकबालपुर विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 24-24 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। कुल 927 में से 765 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गईं। इनमें 705 पुरुष और 60 महिला उम्मीदवार शामिल थे। कुल मिलाकर इस चुनाव में केवल 162 प्रत्याशी ही ऐसे थे जो कि अपना जमानत बचा पाए। इनमें से 70 जीते हुए उम्मीदवारों को निकाल दें तो 92 उम्मीदवार ही निर्धारित मानकों के हिसाब से वोट हासिल कर अपनी जमानत बचा पाए।

2007 विधानसभा चुनाव: 785 में से 205 की जमानत बची

विधानसभा के दूसरे चुनाव में भी चुनाव लड़ने का जबर्दस्त उत्साह नजर आया। इस चुनाव में 37 दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे। निर्दलीयों को मिलाकर चुनाव मैदान में कुल 785 प्रत्याशी उतरे। प्रति विधानसभा औसतन 11 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई। इनमें से 580 की जमानत जब्त हो गई, जिनमें 538 पुरुष और 42 महिला उम्मीदवार शामिल हैं। 205 ऐसे प्रत्याशी थे जो कि अपनी जमानत बचाने में कामयाब हुए। इनमें से 70 विजेताओं को छोड़ दें तो 135 प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचाने में कामयाब हुए।

2012 विधानसभा चुनाव: 614 की जमानत हुई जब्त

इस चुनाव में अब तक के रिकॉर्ड 43 दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे। निर्दलीयों को मिलाकर कुल 788 प्रत्याशी मैदान में उतरे। इस चुनाव में भी औसतन 11 प्रत्याशी प्रति विधानसभा सामने आए थे। इनमें से 614 की जमानत जब्त हो गई, जिनमें 566 पुरुष, 47 महिला व एक अन्य उम्मीदवार शामिल हैं। कुल 174 प्रत्याशी ऐसे थे जो कि अपने जमानत बचाने में कामयाब हुए। इनमें से 70 विजेताओं को हटा दें तो 104 प्रत्याशी ही अंतिम रूप से अपनी जमानत बचाने में कामयाब हुए।

2017 विधानसभा चुनाव: 474 की जमानत जब्त हुई

इस विधानसभा चुनाव में 34 दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे। निर्दलीयों को मिलाकर कुल 637 प्रत्याशी मैदान में उतरे। प्रति विधानसभा नौ प्रत्याशी अपने किस्मत आजमाने जनता के बीच आए। नतीजे आए तो इनमें से 474 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गईं, जिसमें 425 पुरुष, 47 महिला और दो थर्ड जेंडर उम्मीदवार शामिल हैं। केवल 163 उम्मीदवार ही ऐसे थे, जो अपनी जमानत बचा पाए थे। इनमें से 70 विजेताओं को निकाल दें तो 93 उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में कामयाब हो पाए।

यह है जमानत जब्त होने का नियम

जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 158 में उम्मीदवारों की ओर से जमा की गई राशि के लौटाने के तरीकों के बारे में बताया गया है। इन्हीं में एक तरीका है जो यह तय करता है कि किस प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त होगी। दरअसल नियम यह है कि यदि किसी प्रत्याशी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधिमान्य मतों की संख्या के छठे भाग या 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत जब्त मान ली जाती है। यानी प्रत्याशी ने अपनी जो जमानत राशि जमा की थी, वह वापस नहीं मिलेगी। मसलन, किसी विधानसभा सीट पर अगर एक लाख वोटिंग हुई तो जमानत बचाने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को छठे भाग से अधिक यानि करीब 16 हजार 666 वोटों से अधिक वोट लेने ही होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *