देहरादून। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान देहरादून में शरद पूर्णिमा के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। निरंजनपुर स्थित शाखा में मिट्टी के बर्तन में खीर को बनाई गई। रात्रि सेे लेकर प्रातः 5 बजे तक भजन कार्यक्रम चंद्रमा की कलाओं के मध्य रखे गये। इसके बाद शिविर में खीर के साथ आयुर्वेदिक औषधि का भी सेवन किया गया।
इस आयोजन में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की प्रचारक साध्वी अरुणिमा भारती ने बताया की शरद पूर्णिमा को ‘‘कोजागारी पूजा’’ भी कहते हैं जिसका अर्थ हैं ‘‘कि कौन जाग रहा है’’ भारतीय पुराणों के अनुसार इस रात्रि को जो भी साधक ब्रह्म ज्ञान की ध्यान साधना करते हुए जागते रहते हैं उनको मां लक्ष्मी अध्यात्म एवं भौतिक श्री का वरदान देती है।
उन्होंने जानकारी दी कि इस दिन चंद्रमा की चांदनी से भीगी हुई खीर में औषधीय गुण बहुत ही अधिक मात्रा मे बढ़ जाते हैं इसलिए इसके सेवन से सिर्फ जिह्वा को स्वाद नहीं बल्कि हमारे शरीर को भी फायदा पहुंचता है साथ ही इसके सेवन से पुरानी खांसी, दमा जुखाम के रोगियों को काफी राहत मिलती है, शरद ऋतु में अक्सर पित्त का स्तर वात और कफ की तुलना में बढ़ जाते है।
आयुर्वेदिक के अनुसार इसको शांत करने का उपाय ठंडी तासीर के खाद्य पदार्थों का सेवन होता है। ऋषि-मुनियों ने इसी तथ्य को ध्यान में रखकर शरद पूर्णिमा के दिन खीर खाने की प्रथा को शुरू किया। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के निरंजनपुर शाखा में भी सैकड़ो की संख्या में लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और सभी के द्वारा मीडिया से बात करते हुए अपने अनुभव भी साजा किये, वही शरद पूर्णिमा की खीर के विशेष लाभ को बताएं।