देहरादून। विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान (एफ़आरआई), देहरादून वुड सीज़निंग शाखा, वन उत्पाद प्रभाग के सहयोग से कैम्पा एक्सटेंशन द्वारा समर्थित वुड सीज़निंग पर प्रशिक्षण आयोजित कर रहा है। प्रशिक्षण का उद्घाटन डॉ. रेनू सिंह, आईएफएस, निदेशक, एफआरआई द्वारा किया गया। प्रारंभ में ऋचा मिश्रा, आईएफएस, प्रमुख, विस्तार प्रभाग ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और प्रशिक्षण कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की साथ ही उन्होंने निदेशक डॉ रेनू सिंह से उद्घाटन भाषण के लिए अनुरोध किया।
डॉ. रेनू सिंह ने अपने संबोधन में वुड सीज़निंग के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि संस्थान की वुड सीजनिंग शाखा वुड सीजनिंग का एक गौरवशाली इतिहास है। इसकी शुरुआत वर्ष 1914 में हुई। सन 1922 में चंडीगढ़ में पहली सीज़निंग भट्टी स्थापित की गई थी। तब से एफआरआई ने 200 से अधिक लकड़ियों की सीज़निंग विशेषताओं का अध्ययन किया है। वर्तमान में संस्थान विभिन्न प्रकार काष्ठ शुष्कन भट्टियों पर काम कर रहा है जिसमें सौर भट्टियां, निरार्द्रीकरण भट्टी, वैक्यूम भट्टी, विद्युत गर्म भट्टी, सौर वैक्यूम, माइक्रोवेव वैक्यूम भट्टी आदि शामिल हैं।
उन्होंने समग्र लकड़ी के उत्पादों और संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध की भी सराहना की। उन्होने आशा व्यक्त की कि प्रतिभागी इन तकनीकियों के बारे में जानकर निश्चित तौर पर लाभान्वित होंगे। प्रशिक्षण में गांधीधाम, भावनगर, पुणे, हैदराबाद, विशाखापट्नम, कोट्टायम और यमुनानगर के लकड़ी आधारित उद्योगों से संबन्धित प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इसमें वुड सीज़निंग और इसके महत्व, वुड सीज़निंग की माप, विभिन्न प्रकार की भट्टियों व अन्य तरीकों से लकड़ी को सुखाने की लागत विश्लेषण पर सैद्धांतिक इनपुट होंगे। इन पहलुओं पर कई प्रयोगात्मक सत्र भी आयोजित किए जाएंगे। उद्घाटन सत्र का समापन डॉ. चरण सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।